मित्रता दिवस पर अनमोल वचन*


*👉मित्रता दिवस पर अनमोल वचन*

*जे न मित्र दुख होहिं दुखारी।*
*तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥*
*निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना॥1॥*
जो लोग मित्र के दुःख से दुःखी नहीं होते, उन्हें देखने से ही बड़ा पाप लगता है। अपने पर्वत के समान दुःख को धूल के समान और मित्र के धूल के समान दुःख को सुमेरु (बड़े भारी पर्वत) के समान जाने॥1॥
*जिन्ह कें असि मति सहज न आई।*
*ते सठ कत हठि करत मिताई॥*
*कुपथ निवारि सुपंथ चलावा। गुन प्रगटै अवगुनन्हि दुरावा॥2॥*
जिन्हें स्वभाव से ही ऐसी बुद्धि प्राप्त नहीं है, वे मूर्ख हठ करके क्यों किसी से मित्रता करते हैं? मित्र का धर्म है कि वह मित्र को बुरे मार्ग से रोककर अच्छे मार्ग पर चलावे। उसके गुण प्रकट करे और अवगुणों को छिपावे॥2॥
*देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित करई॥*
*बिपति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति कह संत मित्र गुन एहा॥3॥*
देने-लेने में मन में शंका न रखे। अपने बल के अनुसार सदा हित ही करता रहे। विपत्ति के समय तो सदा सौगुना स्नेह करे। वेद कहते हैं कि संत (श्रेष्ठ) मित्र के गुण (लक्षण) ये हैं॥3॥
*आगें कह मृदु बचन बनाई। पाछें अनहित मन कुटिलाई॥*
*जाकर ‍चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई॥4॥*
जो सामने तो बना-बनाकर कोमल वचन कहता है और पीठ-पीछे बुराई करता है तथा मन में कुटिलता रखता है- हे भाई! (इस तरह) जिसका मन साँप की चाल के समान टेढ़ा है, ऐसे कुमित्र को तो त्यागने में ही भलाई है॥4॥
*सेवक सठ नृप कृपन कुनारी। कपटी मित्र सूल सम चारी॥*
*सखा सोच त्यागहु बल मोरें। सब बिधि घटब काज मैं तोरें॥5॥*
मूर्ख सेवक, कंजूस राजा, कुलटा स्त्री और कपटी मित्र- ये चारों शूल के समान पीड़ा देने वाले हैं। हे सखा! मेरे बल पर अब तुम चिंता छोड़ दो। मैं सब प्रकार से तुम्हारे काम आऊँगा (तुम्हारी सहायता करूँगा)॥5॥
*शठ सुधरहिं सतसंगति पाई ।पारस परस कुधातु सुहाई॥*— गोस्वामी तुलसीदास

*गगन चढहिं रज पवन प्रसंगा।कीचई मिलई नीच जल संगा।* तुच्छ इंसान भी अच्छी संगति से परमपद प्राप्त कर सकता है।
— गोस्वामी तुलसीदास
ये वे तथ्य थे जो रामचरितमानस से प्राप्त हुए है।
*संघे शक्तिः*- संघ वही सफल है।जिसमे सम एवं मित्र भाव है।

*हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहने से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है।*- - - महाभारत

*जो कोई भी हों,सैकडो मित्र बनाने चाहिये । देखो, मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे।*— - पंचतंत्र

*को लाभो गुणिसंगमः* ( लाभ क्या है ? गुणियों का साथ )— राजा भर्तृहरि

*सत्संगतिः स्वर्गवास:* ( सत्संगति स्वर्ग में रहने के समान है )- - अज्ञात

*संहतिः कार्यसाधिका।* ( एकता से कार्य सिद्ध होते हैं )— पंचतंत्र
*मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है–ज्ञानी के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना।*- - - अज्ञात
*उतिष्ठ , जाग्रत् , प्राप्य वरान् अनुबोधयत्।* - उठो,जागो और श्रेष्ठ जनों को प्राप्त कर अनुशरण कर स्वयं को बुद्धिमान बनाओ। - - अज्ञात

*नहीं संगठित सज्जन लोग।रहे इसी से संकट भोग॥* - सज्जन पुरुष संगठित हो जाय तो समाज की हरेक मुसीबत का समाधान निकाल सकते है।
— श्रीराम शर्मा , आचार्य

*सहनाववतु,सह नौ भुनक्तु, सहवीर्यं करवावहै।* एक साथ आओ , एक साथ खाओ और साथ-साथ काम करो - - ऋग्वेद

*जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग*
*चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग।*
— रहीम

*जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। मित्र का सहयोग सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।* –मुक्ता
ओर अंत मे इस आधुनिक युग मेनेतो येभी सुना है।
*"हर एक दोस्त कमीना होता है"* - - आधुनिक मित्रता
*आपसभी को मित्रता दिवस की बधाई*
*🙏जय सियाराम*

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