ईस्वर अंस जीव अबिनासी। चेतन अमल सहज सुख रासी॥ सो मायाबस भयउ गोसाईं। बँध्यो कीर मरकट की नाईं॥ जीव ईश्वर का अंश है। (अतएव) वह अविनाशी, चेतन, निर्मल और स्वभाव से ही सुख की राशि है॥ वह माया के वशीभूत होकर तोते और वानर की भाँति अपने आप ही बँध गया। मित्रो, ईश्वर न तो दूर है और न अत्यंत दुर्लभ ही है, बोध स्वरूप एकरस अपना आत्मा ही परमेश्वर है, नाम और रूप विभिन्न दिखते हैं, मगर वह अनामी, अरूप एक ही है, ईश्वर का और हमारा संबंध अमिट है, जीव ईश्वर का अविनाशी अंश है, जैसे आकाश व्यापक है ऐसे ही परमात्मा व्यापक है, जो चैतन्य परमात्मा सगुण-साकार में है, वही आपकी और हमारी की देह में है। वह नित्य परमेश्वर अपने से रत्ती भर भी दूर नहीं है क्योंकि वह व्यापक है, सर्वत्र है, सदा है, सज्जनों! आपने वो घटना सुनी होगी, स्वामी राम कृष्ण परमहंसजी के पास एक युवक आया, गुरूदेव मुझे भगवद् दर्शन करना है, आप करवा सकते हो? बोले क्यो नहीं? परमहंसजी उसको गंगा स्नान कराने ले गये, जैसे ही गंगा में डुबकी लगाई तो परमहंसजी उसकी पीठ पर बैठ गये, वो अकुलाने लगा। पूरे प्राणों की ताकत लगा कर जैसे-तैसे ऊपर निकला, युवक ने ...
शुभाशयाः (Greetings) दीपावली शुभाशयाः । = Wish you a happy Deepavali. युगादि शुभाशयाः । = Wish you a happy New Year. मकरसङ्क्रमणस्य/पोङ्गल् शुभाशयाः । = Wish you a happy Sankranti/Pongal. नववर्षस्य शुभाशयाः । = Hearty greetings for a happy New Year. नववर्षं नवचैतन्यं ददातु । = Let the new year bring a new life. भवतः वैवाहिकजीवनं शुभमयं भवतु । = Wish you a very happy married life. नवदम्पत्योः वैवाहिकजीवनं सुमधुरं भूयात् । = Wish the couple a very happy married life. सफलतायै अभिनन्दनम् । = Hearty congratulations on your success. भवदीयः समारम्भः यशस्वी भवतु । = Wish the function a grand success. शतं जीव शरदो वर्धमानाः । = May you live for one hundred years. शुभाः ते पन्थानः । = Good bye (God be with you)
न ह्रश्यत्यात्मसम्माने नावमानेन तप्यते। गंगो ह्रद इवाक्षोभ्यो य: स पंडित उच्यते।। अर्थ: जो अपना आदर-सम्मान होने पर ख़ुशी से फूल नहीं उठता, और अनादर होने पर क्रोधित नहीं होता तथा गंगाजी के कुण्ड के समान जिसका मन अशांत नहीं होता, वह ज्ञानी कहलाता है।। अनाहूत: प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते। अविश्वस्ते विश्वसिति मूढ़चेता नराधम: ।। अर्थ: मूढ़ चित्त वाला नीच व्यक्ति बिना बुलाये ही अंदर चला आता है, बिना पूछे ही बोलने लगता है तथा जो विश्वाश करने योग्य नहीं हैं उनपर भी विश्वाश कर लेता है। अर्थम् महान्तमासाद्य विद्यामैश्वर्यमेव वा। विचरत्यसमुन्नद्धो य: स पंडित उच्यते।। अर्थ: जो बहुत धन, विद्या तथा ऐश्वर्यको पाकर भी इठलाता नहीं चलता, वह पंडित कहलाता है। एक: पापानि कुरुते फलं भुङ्क्ते महाजन: । भोक्तारो विप्रमुच्यन्ते कर्ता दोषेण लिप्यते।। अर्थ: मनुष्य अकेला पाप करता है और बहुत से लोग उसका आनंद उठाते हैं। आनंद उठाने वाले तो बच जाते हैं; पर पाप करने वाला दोष का भागी होता है। एकं हन्यान्न वा हन्यादिषुर्मुक्तो धनुष्मता। बुद्धिर्बुद्धिमतोत्सृष्टा हन्याद् राष्ट...
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